हजारी प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय | Hajari Prasad Dwivedi ka Jivan Parichay
प्रसिद्ध हिंदी निबंधकार, आलोचक एवं उपन्यासकार हजारी प्रसाद द्विवेदी जी का जन्म श्रावण शुक्ल एकादशी, 19 अगस्त 1907 ईo को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में आरत दुबे का छपरा (ओझवलिया) नामक ग्राम में हुआ था। इनके बचपन का नाम वैद्यनाथ द्विवेदी था। पिता श्री अनमोल द्विवेदी संस्कृत के प्रकांड विद्वान होने के साथ-साथ ज्योतिष विद्या में भी पारंगत थे। इनके माता का नाम ज्योतिष्मती था।
जीवन परिचय: हजारी प्रसाद द्विवेदी
द्विवेदी जी के निबंध संग्रह "आलोक पर्व" के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिंदी साहित्य के महान लेखक द्विवेदी जी 4 फरवरी 1979 को पक्षाघात के शिकार हो गए और 19 मई 1979 को ब्रेन ट्यूमर से दिल्ली में वह स्वर्ग सुधार गए। हिंदी साहित्य के लिए उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।
भाषा शैली
द्विवेदी जी ने अपनी रचनाओं में परिमार्जित खड़ी बोली का उपयोग किया है। वे भाव और विषय के अनुसार भाषा का चयनित प्रयोग करते थे। उनकी भाषा के दो रूप हैं:- 1. प्रांजल व्यवहारिक भाषा, 2. संस्कृत निष्ठ शास्त्रीय भाषा। Hajari Prasad Dwivedi ka Jivan Parichay
प्रांजल व्यावहारिक भाषा का उपयोग द्विवेदी जी ने सामान्य निबंधों में किया है। इस प्रकार की भाषा में उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी के शब्दों का भी समावेश किया हुआ है। द्वितीय शैली या संस्कृत निष्ठ शास्त्रीय भाषा का उपयोग उन्होंने उपन्यासों और सैद्धांतिक आलोचना के क्रम में परिलक्षित किया है।
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हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की प्रमुख रचनाएं (Hajari Prasad Dwivedi ki Pramukh Rachnaye)
आलोचनात्मक
- सूर साहित्य
- हिंदी साहित्य की भूमिका
- प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद
- नाथ संप्रदाय
- हिंदी साहित्य का आदिकाल
- साहित्य का मर्म
- मेघदूत एक पुरानी कहानी
- साहित्य सहचर
- कालिदास की लालित्य योजना
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप
- मृत्युंजय रवींद्र
- सहज साधना
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के निबंध (Hajari Prasad Dwivedi ji ke Nibandh)
- कल्प लता
- विचार और वितर्क
- विचार प्रवाह
- कुटज
- कल्पतरु
- गतिशील चिंतन
- साहित्य सहचर
हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के उपन्यास (Hajari Prasad Dwivedi ji ke Upanyas)
- बाणभट्ट की आत्मकथा
- चारु चंद्रलेख
- पुनर्नवा
- अनामदास का पोथा
Hajari Prasad Dwivedi: Jivan Parichay
द्विवेदी जी की रचनाओं में विवेचनात्मक शैली वर्णनात्मक शैली व्यंगात्मक शैली एवं व्यास शैली का प्रयोग है।
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1 Comments
Jai shree Ram
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